लॉक डाउन मे हर कोई बन गया एक दूसरे का सहयोगी - लेख - सुषमा दिक्षित शुक्ला


हम कह सकते हैं कि लॉक डाउन में हर कोई एक-दूसरे का सहयोगी बन गया है। इस भीषण त्रासदी के हालात मे लोग पुरानी नफ़रतें भुलाकर  एक दूसरे का साथ दे रहे हैं।

सरकार से लेकर व्यक्तिगत संस्थान के साथ-साथ हर व्यक्ति एक दूसरे के सहयोग को ही समय अपना प्रथम कर्तव्य स्वीकार कर मानव धर्म निभा रहा है, यह वाकई मानवता की मिसाल है ।सहयोग तो हर कोई कर रहा है, वह सहयोग चाहे आर्थिक हो ,शारीरिक या भावनात्मक ही सही ,कुछ  न कुछ तो जरूर साथ दे रहे हैं  सभी एक दूसरे का ।
इस समय लोगों के अंदर मानवता जाग्रत हुई है  यही मानव धर्म है सरकारी नौकरी वाले अधिकांश विभागों के लोग मुख्यमंत्री राहत कोष में धन जमा करने के लिए एक या दो दिन का वेतन कटा रहे हैं, एवं अन्य अनगिनत लोगों ने भी मुख्यमंत्री राहत कोष में पैसा जमा किया है ।
कुछ लोगों के पास ज्यादा पैसा नही है फिर भी उन्होंने अपना पैसा मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किया है । यह मानवता की मिसाल है । 

कई अभिनेता अक्षय कुमार से लेकर सलमान खान व अन्य लोग तथा बड़े-बड़े उद्योगपति जैसे टाटा व अंबानी ने करोड़ों रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा किए हैं इस प्रकार बहुत आर्थिक सहयोग किया है ।  राजनेताओं ने भी 1 साल तक वेतन में कटौती करने का फैसला लिया है ,जो स्वागत योग्य  है । सामाजिक संगठन  तो लोगों को दवाएं ,खाना, राशन ,सेनीटाइजर से लेकर मास्क तक बांट रहे हैं। कापी किताबें भी मुहैया करा रहे हैं ।

इन सबके साथ ही अपना कर्तव्य परायणता की अग्नि परीक्षा से गुजरते हुए हमारे मेडिकल स्टाफ, टेक्नीशियन ,डॉक्टर्स ,पुलिस कर्मी ,सफाई कर्मी भी  अपने प्राणों की बाजी लगाकर जनता के सहयोग पर डटे हुए हैं ,एवं मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं । लोगों का काम  कर रहे हैं यह सहयोग नहीं तो क्या है ।
मकान मालिक गरीबों से किराया नहीं ले रहे हैं पर उन्हें अपने घरों में रखे हैं यह सहयोग है मानवता है  ।लोग अपने  घरेलू काम करने वाले सहायको को  बिना काम एडवांस पैसे देकर छूट्टी दिये हैं और काम स्वयं ही कर  रहे हैं यह सहयोग ही तो है ।

सरकार घर बैठे लोगों को वेतन उनके खाते में पहुंचा रही है,जबकि इसकी कीमत सरकार को चुकानी पड़ेगी ।यह सहयोग नहीं तो क्या है । लॉक डाउन मे फंसे लोगों को विशेष व्यवस्था से उनके घरों तक पंहुचाना भी बड़ा भी इस समय बड़ा सहयोग  है। 

हर किसी का अपना सहयोग का एक तरीका है ।  इस समय जब देश भयंकर त्रासदी से गुजर रहा है ऐसे मे 
लोगों के अंदर मानवता जागृत हुई है ,लोग वाकई  एक दूसरे की मदद को ही अपना धर्म समझ रहे हैं ,जो कि सराहनीय है ,स्वागत योग्य है ।


सुषमा दिक्षित शुक्ला

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