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विधा/विषय "योद्धा"
योद्धा - कविता - निखिल पाण्डेय श्रावण्य
बुधवार, जुलाई 02, 2025
दृग् ग़िलाफ़ करो तुम ग़ौर से देखो हैं कितने युद्ध लड़े हुए। मृत्यु हैं कितनी बार डराई फिर भी डटकर खड़े हुए॥ डर भी भयभीत है हमसे ज़रा निकट …
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