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विधा/विषय "घड़ी"
वक़्त का पहरा - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
सोमवार, दिसंबर 28, 2020
घड़ी चल रही है पल पल वहीं दिन ढल रहा है पग-पग वहीं, न जाने ये कैसी पहेली जगी अजब ज़िंदगी की पहेली जगी, न जाने कोई कल की गुज़रा कहीं न …
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