यूँ आजकल जिनकी बातों में - नज़्म - सुनील खेड़ीवाल 'सुराज'

यूँ आजकल जिनकी बातों में - नज़्म - सुनील खेड़ीवाल 'सुराज' | Nazm - Yoon Aajkal Jinki Baaton Mein
यूँ आजकल जिनकी बातों में, आप आए बैठे हैं
जो तुम्हें, अपनी हर एक बात पर लुभाए बैठे हैं
पछताना न पड़े, जान लो वक्त रहते तुम भी उन्हें
यक़ीन मानिए उन्हें हम कब से आज़माए बैठे हैं
बताया है तुमने सब, जिन्हें समझकर हमदम अपना
करते हैं बात जो हँसकर, वो राज़ कई छुपाए बैठे हैं
थामा है जिनकी, वफ़ादारी का दामन तुमने इस क़द्र
ज़ुबाँ पर है वफ़ा जिनके, दिल में ज़हर दबाए बैठे हैं
लगती है तुम्हें, नफ़ासत बातें भी अक्सर बे-नूर मेरी
जिन चराग़ों में नूर देखा है, वो घरों को जलाए बैठे हैं
सुहाने सफ़र में, गर्द-ए-रहगुज़र भी नज़र आती नहीं
यक़ीन मानिए उन रास्तों पे, हम भी ठोकर खाए बैठे हैं


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