तिरंगा - कविता - शालिनी तिवारी

हाँ हर दिल में तिरंगा होना चाहिए, 
ना कोई बैर ना कोई कड़वाहट होनी चाहिए।

अब जन-जन अटूट एकता होनी चाहिए,
हाँ हर दिल में तिरंगा होना चाहिए।

ना घोल सके कोई जाति धर्म का ज़हर,
लीन हो हर कोई देश भक्ति में इस क़दर।

अब देश प्रेम के लिए सबको आध्यात्मिक होना चाहिए,
हाँ हर दिल में तिरंगा होना चाहिए।

सीखा रहा केसरी इस देश की दृढ़ता,
सफ़ेदी दे रही है सच्चाई की परिभाषा।

हरा देता सीख देश में हरियाली होनी चाहिए,
हाँ हर दिल में तिरंगा होना चाहिए।

शालिनी तिवारी - अहमदनगर (महाराष्ट्र)

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