श्रवण निर्वाण - भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान)
दौलत यहाँ आज तक कमा न सका - ग़ज़ल - श्रवण निर्वाण
बुधवार, नवंबर 17, 2021
अरकान : मुस्तफ़इलुन फ़ाइलुन फ़आल फ़अल
तक़ती : 2212 212 121 12
दौलत यहाँ आज तक कमा न सका,
अपना शहर में मकाँ बना न सका।
था एक आख़िर अदद चिराग़ वही,
मैं चाहकर भी उसे जला न सका।
हरदम रहे पास दूर आज हुए,
मैं हाल मेरा कभी बता न सका।
दीवार है मज़हबी बनी तो हुई,
कोई उसे आज तक गिरा न सका।
चलना पड़ा शूल पर उन्हें भी यहाँ,
मैं राह में फूल तो सजा न सका।
दुश्मन बने आज, साथ थे वे सदा,
वादा किया जोश में निभा न सका।
हर बार हारा मगर वे जीत गए,
मैं वक़्त रहते रज़ा दिखा न सका।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर