पीर लेकर कौन आया - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'

अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती: 2122 2122 212

चाँदनी ने घर जलाया मत कहो,
पीर लेकर कौन आया मत कहो।

रात को हर रोज़ जागे क्यों भला,
आँख ने आँसू बहाया मत कहो।

हो भले मालूम देकर दर्द भी,
कौन है जो मुस्कुराया मत कहो।

वो जिसे अपना कहा दिल ने सदा,
बोलकर भी क्यों न आया मत कहो।

क्या वजह है जानकर भी मुश्किलें,
दीप आशा का जलाया मत कहो।

भूलने के हैं भले कारण बहुत,
पर न क्यों अब तक भुलाया मत कहो।

पूछते हैं लोग हँसकर हर घड़ी
किसलिए रिश्ता निभाया मत कहो।

ग़म सहा चुपचाप "अंचल" अब तलक,
क्यों नहीं सबको बताया मत कहो।

ममता शर्मा 'अंचल' - अलवर (राजस्थान)

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