अरकान : मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन
तक़ती : 221 1222 221 1222
हम जान गए साधो बाज़ार सियासी है।
बातें तो अदब की हैं किरदार सियासी है।
इक नर्सरी वाले ने हमको ये बताया था,
कुछ पौध हैं काँटों की रफ़्तार सियासी है।
तहज़ीब पसन्दों का चर्चा न किया कीजे,
हर फूल पे पहरे हैं गुलज़ार सियासी है।
तारीफ़ करो उसकी जो सर को बचाए है,
हर रोज़ बदलती रंग दस्तार सियासी है।
घर तेरा समझ अपना ऐ यार चले आए,
मालूम न था हमको दरबार सियासी है।
मनजीत भोला - कुरुक्षेत्र (हरियाणा)