रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)
अब पहले जैसा कहाँ बसंत - गीत - रमाकांत सोनी
शुक्रवार, फ़रवरी 19, 2021
मन में उमंग उठती कहाँ अब,
बहती कहाँ भावनाएँ अनंत।
प्रेम भरी पुरवाई खो गई,
अब पहले जैसा कहाँ बसंत।।
रिश्तो में कड़वाहट भर गई,
पीपल भी दिखते बेबस से।
मधुमास मतवाला अब कहाँ,
मदमस्त करता सबको रस से।।
वह अल्हड़पन तरुणाई का,
गा रहा हो बैठा कोई पंत।
बहती नदियों का कल कल स्वर,
अब पहले जैसा कहाँ बसंत।।
वह खुशी उल्लास हृदय की,
होठों पर आँखों मे रहती।
हर हाव-भाव हर बोली में,
वासंती बयार मधुर बहती।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर