लेकर खुशियों का पैग़ाम, नया साल आ गया!
बिखरे हैं उल्लास तमाम, नया साल आ गया!
मोहब्बत के नग़मे सुनाते चलो,
सब को गले भी लगाते चलो!
औरों का करें एहतराम, नया साल आ गया!
इंसान से हर इंसान का भाईचारा बने,
अमन का गुलशन मुल्क हमारा बने!
बहता रहे इश्क़-ए-दरिया सरेआम, नया साल आ गया!
लेकर खुशियों का पैग़ाम, नया साल आ गया!!
मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)