रजनी साहू 'सुधा' - पनवेल, नवी मुंबई (महाराष्ट्र)
सोने के पिंजरे इन्हें रास न आते हैं - कविता - रजनी साहू 'सुधा'
रविवार, मई 04, 2025
तन्हाई के मौसम में पंछी राग सुनाते हैं,
सन्नाटों की पीड़ा को स्वर में गुनगुनाते हैं।
प्रीत निभाने के ये सब राज़ छुपाते हैं,
बुलंदी के नभ में ये कलाबाज़ बन जाते हैं।
इनके कलरव के हर अंदाज़ भाते हैं,
तन्हाई के मौसम में पंछी राग सुनाते हैं,
सन्नाटों की पीड़ा को स्वर में गुनगुनाते हैं।
विरानों में भी ये बाग़ों के ख़्वाब दिखाते हैं,
नींदें चुराकर मीठे से सपने जगाते हैं।
भटकी शामों को घर की याद दिलाते हैं,
तन्हाई के मौसम में पंछी राग सुनाते हैं,
सन्नाटों की पीड़ा को स्वर में गुनगुनाते हैं।
पतझड़ की शाख़ों पर भी ये मुस्काते हैं,
कोटर के वैभव में जीवन रचाते हैं।
उन्मुक्त उड़ानों का सौभाग दिखाते हैं,
तन्हाई के मौसम में पंछी राग सुनाते हैं,
सन्नाटों की पीड़ा को स्वर में गुनगुनाते हैं।
नभ के सतरंगे रंगों में ये रम जाते हैं,
अवनी से अंबर तक दुनिया सजाते हैं।
सोने के पिंजरे इन्हें रास न आते हैं,
तन्हाई के मौसम में पंछी राग सुनाते हैं,
सन्नाटों की पीड़ा को स्वर में गुनगुनाते हैं।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर