वो जो हँसता था मेरा दर्द छुपाने के लिए - ग़ज़ल - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव 'जानिब'

वो जो हँसता था मेरा दर्द छुपाने के लिए - ग़ज़ल - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव 'जानिब' | Ghazal - Wo Jo Hansta Tha Mera Dard Chhupane Ke Liye
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती: 2122  2122  2122  2122

वो जो हँसता था मेरा दर्द छुपाने के लिए
आज तनहा है उसी ग़म को निभाने के लिए

मैं तुझे भूल चुका हूँ ये मेरा वहम नहीं
अब भी जागा हूँ तेरी याद जगाने के लिए

हम तो जलते रहे ख़ुशबू की तरह हर लम्हा
तू चला भी गया साँसें चुराने के लिए

कितनी मासूम दुआओं का गला घोंटा गया
इक मोहब्बत को जहाँ में बसाने के लिए

अब 'जानिब' से न पूछो कोई ता'लीम-ए-वफ़ा
वो तो बदनाम हुआ सिर्फ़ निभाने के लिए


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