वो जो हँसता था मेरा दर्द छुपाने के लिए - ग़ज़ल - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव 'जानिब'
शनिवार, मई 03, 2025
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती: 2122 2122 2122 2122
वो जो हँसता था मेरा दर्द छुपाने के लिए
आज तनहा है उसी ग़म को निभाने के लिए
मैं तुझे भूल चुका हूँ ये मेरा वहम नहीं
अब भी जागा हूँ तेरी याद जगाने के लिए
हम तो जलते रहे ख़ुशबू की तरह हर लम्हा
तू चला भी गया साँसें चुराने के लिए
कितनी मासूम दुआओं का गला घोंटा गया
इक मोहब्बत को जहाँ में बसाने के लिए
अब 'जानिब' से न पूछो कोई ता'लीम-ए-वफ़ा
वो तो बदनाम हुआ सिर्फ़ निभाने के लिए
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