सौरभ तिवारी - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
मैंने तुम पर गीत लिखा है - गीत - सौरभ तिवारी
बुधवार, जनवरी 12, 2022
शब्दों की कलियाँ चुन-चुन कर
मनवीणा संगीत लिखा है,
मैंने तुम पर गीत लिखा है।
शरद चंद सी स्वच्छ चाँदनी
और मेघों की आहट है,
शबनम के मोती के जैसी
उसकी ग़ज़ब लिखावट है।
तुझको होली और दीवाली,
जग की सारी रीत लिखा है,
मैंने तुझ पर गीत लिखा है।
फुलबारी से आती ख़ुशबू
और तितली के रंग हैं,
नदियों की धारा का मुड़ना
तेरे चलने का ढंग है।
और पतंगे के जलने को
मैंने अपनी प्रीत लिखा है,
मैंने तुम पर गीत लिखा है।
नम आँखों के ठहरे आँसू
और मिलन की आस है,
स्वाति बूँद की बाट जोहती
चातक जैसी प्यास है।
तुझ पे दिल हारा जो मैंने
उसको अपनी जीत लिखा है,
मैंने तुझ पर गीत लिखा है।
सावन भादों सजल सुहाने
और बसंत ऋतुराज है,
तेरे मेरे हम दोनों के
दिल की हर आवाज़ है।
पिया बसंती पुरवाई भी
और पूस की शीत लिखा है,
मैंने तुम पर गीत लिखा है।
तेरे जाने की तकलीफ़ें
आने की हर आहट है,
सपनों में जो अक्स उभरता
उसकी ग़ज़ब बनावट है।
वर्तमान के सारे क़िस्से
थोड़ा बहुत अतीत लिखा है,
मैंने तुझ पर गीत लिखा है।
भँवरे की गूँजन की गुन-गुन
और नदियों की कलकल है,
शाम सबेरे रात दिवस में
तेरा वर्णन प्रतिपल है।
नाम नहीं लिख पाया लेकिन
बस प्रतीक मनमीत लिखा है,
मैंने तुम पर गीत लिखा है।
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