अपनी मर्ज़ी से - ग़ज़ल - आलोक कौशिक

तुम मुझे लगती बहुत ही प्यारी हो 
सच-सच बताओ क्या तुम बिहारी हो।

अब तो होने लगा है प्यार तुमसे 
लगता है मिट गई समझदारी हो।

खुरच कर घायल कर गया जो भी आया 
मेरा दिल जैसे महल सरकारी हो।

होती हैं तब देश में धर्म की बातें 
जब महँगाई और बेरोजगारी हो।

लिखेंगे ग़ज़ल हम अपनी मर्ज़ी से ही
दुश्मन तुम या सरकार तुम्हारी हो।

आलोक कौशिक - बेगूसराय (बिहार)

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