इमरान खान - नत्थू पूरा (दिल्ली)
मैं मौन हो गया - कविता - इमरान खान
बुधवार, जून 04, 2025
मैंने उस लड़की से कहा– 'मैं तुम पर एक कविता लिखना चाहता हूँ!'
उस लड़की ने मुझसे पूछा– 'तुम्हारे शब्दों में मेरे होंटों की गुलाबी रंगीनी है!'
मैंने कहा– 'नहीं!'
'तुम्हारे शब्दों में मेरी आँखों में बहता काजल का संगीत है?'
'नहीं!'
'तुम्हारे शब्दों में मेरे ख़्वाबों की उड़ान है?'
'नहीं!'
'तुम्हारे शब्दों में मेरी उँगलियों में बरसता रात का बादल है?'
'नहीं!'
'मेरे भीग चुके बालों में धूप की चमक है?'
'नहीं!'
'मेरी साँसो में बस चुकी गुलाब की ख़ुशबू है?'
'नहीं'
'जान है?'
'नहीं!'
'तब तुम मुझ पर क्या कविता लिखोगे?'
मैंने कहा– 'पर मुझे तुमसे प्यार है!'
लड़की बोली– 'प्यार का शब्दों से क्या सरोकार है?'
एक अनुभव हुआ नया!
मैं मौन हो गया!
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