रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़' - रीवा (मध्यप्रदेश)
हे सिद्धिविनायक - कविता - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़'
मंगलवार, सितंबर 03, 2024
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
महिमा का गुणगान करें तेरे ब्रह्मा विष्णु महेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
प्रथम पूजते हैं सब तुझको ये नारद शारद शेष
तू भालचंद्र है गौरी नंदन विघ्न हरे सब क्लेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
महिमा का गुणगान करें तेरे ब्रह्मा विष्णु महेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
है एकदंत लम्बोदर तू तेरा सुमुख है सुंदर वेश
हर विकार व्यभिचार मिटा ईर्ष्या हो या द्वेष
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
महिमा का गुणगान करें तेरे ब्रह्मा विष्णु महेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
बुद्धि का देवता है तू देवा आराध्य इष्ट मेरा विघ्नेश
दर्शन को तेरे रहते हैं व्याकुल रावण और दिनेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
महिमा का गुणगान करें तेरे ब्रह्मा विष्णु महेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
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