निखिल शर्मा - अम्बेडकर नगर (उत्तर प्रदेश)
मुसाफ़िर - कविता - निखिल शर्मा
सोमवार, जुलाई 29, 2024
जो टूटें अरमाँ
तो टूटने देना।
जो ख़्वाब बिखरें
तो बिखरने देना।
कुछ तो सबक़ मिलेगा
कुछ तो हौसला ज़ाहिर होगा।
दिन कट गया
रात तो होगी
और रात दुख भरी रही
तो क्या हुआ
सुख भरी सुबह तो होगी
तुम तो मुसाफ़िर
सफ़र-ए-मंज़िल के।
ये ज़माना तुम्हारे हक़ में
या ख़िलाफ़ में
तुमसे क्या
तुम्हे तो चलते रहना है।
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