दीपक राही - जम्मू कश्मीर
जलना उचित है - कविता - दीपक राही
शुक्रवार, मई 21, 2021
उन सब धारणाओं का,
जलना उचित है,
जो करती है भेद,
मनुष्य का मनुष्य से।
मेरा जलना उचित नहीं,
उन सब विचारों का,
जलना उचित है,
जो समाज की प्रगति
के विरुद्ध होते हो।
मेरा जलना उचित नहीं,
उन प्रथाओं का,
जलना उचित है,
जो अनगिनत लोगों की,
मृत्यु का कारण बनी हो।
मेरा जलना उचित नहीं,
उन काले कानूनों का,
जलना उचित है,
जिसने निर्दोष लोगों को,
जेलों में भरा हो।
मेरा जलना उचित नहीं,
उन अंधविश्वासों का,
जलना उचित है,
जो तर्क के ज्ञान को,
नहीं मानते।
मेरा जलना उचित नहीं,
उस लोकतंत्र का,
जलना उचित है,
जिसमें व्यक्ति के,
अधिकारों का हनन हो।
मेरा जलना उचित नहीं।
उन रिवाजों का,
जलना उचित है,
जिसका भार औरतों ने ढ़ोया है,
सदा अपने कन्धों पर।
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