मेरा वतन - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | पहलगाम हमले पर दोहे

मेरा वतन - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | पहलगाम हमले पर दोहे | Pahalgam Attack Poetry
पुकारता मेरा वतन, जागो भारत वीर।
पहलगाम अरिघात का, बदला लो रणधीर॥

मिटा पाक नक्शा धरा, नाश करो आतंक।
महाकाल बन घात कर, बने शत्रु फिर रंक॥

दहशतगर्दी पाक का, लिया रूप विकराल।
युवाशक्ति सैनिक वतन, नाश करो बन काल॥

रखो लाज भारत वतन, रखो तिरंगा शान।
क़र्ज़ चुकाने का समय, आया पुनः जवान॥

लोकतंत्र का पर्व है, अवसर जन अधिकार।
कवि दिल की आवाज़ है, कविता करे पुकार॥

पुकारती माँ भारती, तरुण वीर सन्तान।
डरो नहीं अरिघात से, उठो करो मतदान॥

मानव हित रक्षा कवच, बने मनुज अनिवार्य।
उठा शस्त्र ब्रह्मास्त्र मत, नीति धर्म हित कार्य॥

राजधर्म हो निर्वहण, प्रजा हितैषी राज।
महापर्व जनतंत्र का, है चुनाव यहितकाज॥

शंखनाद करती कमल, पथ सशक्त अभियान।
तन मन धन माँगे वतन, प्रगति कीर्ति सम्मान॥

मैं भारत सन्तान हूँ, भारत मेरा प्राण।
आन बान सम्मान बस, पौरुष ही कल्याण॥

हार जीत मानक प्रजा, जनमत का आधार।
करे प्रजा मतदान से, कौन बने सरकार॥

लोकतंत्र अभिमत वतन, सार्वभौम गणतंत्र।
मत मेरा अधिकार है, संविधान का मंत्र॥


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