माँ की महर - देव घनाक्षरी छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
मंगलवार, अप्रैल 08, 2025
माता ममतामयी मूरत मनोहर मान,
मन-मन्दिर महान मध्य में महर-महर।
मानवता मधुरता महानता महीश्वरी,
माता मन मत दुखाओ दिल दहर-दहर।
माता प्रेम पवन पुनीत पहचान प्यारे,
जीवन जहान जननी बिन ज़हर-ज़हर।
‘मारुत’ माता महिमामयी दयावती देवी,
प्रेरक पुण्यात्मा धैर्य करुणा बहर-बहर॥
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विषय
सम्बंधित रचनाएँ
गुरु महिमा - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
शशिधर बम बम - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
आया महीना जून का - मनहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
नारी सशक्तिकरण - घनाक्षरी छंद - संगीता गौतम 'जयाश्री'
होली आई है - घनाक्षरी छंद - डॉ॰ सुमन सुरभि
प्यारा-प्यारा हिन्द देश - देव घनाक्षरी छंद - ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर