समीर द्विवेदी नितान्त - कन्नौज (उत्तर प्रदेश)
आओ कुल्हड़ में चाय पीते हैं - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी नितान्त
बुधवार, जनवरी 15, 2025
आओ कुल्हड़ में चाय पीते हैं
चन्द लम्हें सुकूँ के जीते हैं
क्या बताएँ ए दोस्त तेरे बिन
सारे लम्हात रीते-रीते हैं
रम औ' व्हिस्की तुम्हें मुबारक हो
हम तो सादा हैं चाय पीते हैं
ज़िंदगी इस क़दर हसीं भी नहीं
जैसी दिखलाके लोग जीते हैं
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