संदेश
पूर्वजों को नमन - कविता - आर॰ सी॰ यादव | पूर्वजों पर कविता
नमन वंदन है उन पुरखों को जो छोड़ गए इस माटी को। श्रद्धा सुमन अर्पित करके, जीवित रखें परिपाटी को॥ जिनकी गोद में पले बढ़े हम, आज हमारे ब…
जिस दिन समझ लोगे - गीत - प्रमोद कुमार
जिस दिन समझ लोगे मेरे प्यार को तुम, मज़ा ज़िंदगी का आने लगेगा। आँखों में सपने सजने लगेंगे, नशा बेख़ुदी का छाने लगेगा। अँखियों के रस्ते से…
आपके जन्मदिवस पर - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण' | जन्मदिन पर कविता
वन्दनवारों से सजी आज, वीथी में धूम तुम्हारी है। मंगलकारी हो जन्मदिवस, ऐसी अभिलाष हमारी है॥ दिनरात चौगुनी बढ़ती हो, सम्मान तुम्हारे साथ…
कवि का अस्त नहीं होता है - कविता - राघवेंद्र सिंह
विविध ऋचाओं को रचकर भी, कवि अभ्यस्त नहीं होता है। रवि का अस्त तो हो जाता है, कवि का अस्त नहीं होता है। हर क्षण, प्रतिपल नवल चेतना, अंत…
हमने देखी हैं - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'
कितनी लाते-घातें हमने देखी हैं, जीवन की शह-मातें हमने देखी हैं, दुःख को सहते लोग अकेले देखे हैं, सुख के संग बारातें हमने देखी हैं। उजल…
उजला उजला कहना - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
थोड़ी देर ठहर कर, पुराने कपड़े पहर कर। उजला उजला कहना, अँधेरे से सहम कर। यही जीवन की अन्दुरूनी बातें। मित्रों की संगठित घातें। अकेलेप…
दिव्या - कविता - प्रवीन 'पथिक'
अंधेरे के सिवा, जीवन में कुछ नहीं है। सुख, आनंद, आह्लाद, सौंदर्यता कुछ भी तो नहीं है। भय मिश्रित आशंका, बेचैनी और अंतर्द्वंद से अच्छाद…
कहो जो है दिल में बात - नज़्म - सुनील खेड़ीवाल 'सुराज'
कहो जो है दिल में बात, उनके पयाम से पहले, मत सोचो मोहब्बत में कुछ भी अंजाम से पहले। दिल की बात दिल में न रह जाए हसरत बनकर, जी ले तू भी…
देश का आधार हिंदी - कविता - राजधर अठया
पद्म का शृंगार हिंदी, गद्य का विस्तार हिंदी, भावों को दे शब्द अनेक, शब्दों का भंडार हिंदी। पढ़ने-लिखने में सरल हिंदी, वाणी में निर्मल …
मैं हिंदी हूँ - कविता - सुनीता प्रशांत
सबकी जानी पहचानी सबकी प्यारी अपनी अपनी भावना मैं मन की भाषा मैं जन जन की व्यक्त मैं, अभिव्यक्त मैं सार मैं, अभिसार मैं सर्व साधारण का…
मातृभाषा अपनी हिंदी - कविता - आर॰ सी॰ यादव
मातृभाषा अपनी हिंदी, वेद अवतरित वाणी है। उन्नति का आधार यही है, जिससे जुड़ा हर प्राणी है॥ रंग-रूप वेषभूषा से हटकर, यह संविधान की बिंदी…
हिन्दी दिवस - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'
हिन्दी बन जन मानस की अति प्रिय भाषा। तार दिलों के जोड़ने की जगाती है सबमें आशा। सभ्यता-संस्कृति की जो बताती है सबको परिभाषा। निराली लि…
पली बढ़ी शृंगारित हिन्दी - कविता - राघवेंद्र सिंह | हिंदी भाषा पर कविता
संस्कार की मृदु सुगंध में, पली बढ़ी शृंगारित हिन्दी। संवेदित, उत्कृष्ट व्याकरण, में लिपटी उद्धारित हिन्दी। शुभ्र, श्वेत अरविन्द कुसुम …
हिंदी की महिमा - कविता - शरद कुमार शिववेदी
हिंदी है भारत की शान, हिंदी से है देश की पहचान। हिंदी है राष्ट्रभाषा प्रथम स्थान, हिंदी ने भर दी संविधान में जान॥ हिंदी है तिरंगे की प…
माँ भाषा हिंदी - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव | हिन्दी दिवस पर कविता
हिंदी है वो ममता की छाँव, जो हर दिल में बसती है, आँगन की वो मीठी बोली, जो होठों पर सजती है। गंगा सी निर्मल, सरल, हर पग में अपनापन, संस…
नव हिन्दी नव सर्जना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | हिंदी दिवस पर दोहे
माथे की बिंदी वतन, हिंदी है अविराम। हिन्दीमय सारे जहाँ, भारत है सुखधाम॥ प्रमुदित है संस्कृत सुता, पुण्य दिवस पर आज। हिन्दी हिन्दुस्…
अधरंगी बूँद - रेखाचित्र - विशाल कपूर 'पोपाई'
नमस्ते जी! वैसे तो मैं यहाँ पर नमस्ते की जगह वाहेगुरु जी, अस्सलामु अलैकुम, या गुड इवनिंग भी बोल सकती थी। पर आज अगर मैं बोल पा रही हूँ …
मैं स्त्री हूँ - कविता - प्राची अग्रवाल
जानती हूँ मैं अपनी मर्यादा हर वक्त मुझे मत टोको। मर्यादा लाँघने वाली स्त्रियाँ अलग होती है। मुझे उनके साथ मत तोलो। भाषा हूँ मैं मौन की…
कवि होना - कविता - विनय विश्वा
दुनिया का सबसे बड़ा दुःख कवि होना है वह सबका दुःख ओढ़ लेता है सबके सुख की कामना करता है रचना में एक कुशल कारीगर संसार को शब्दों के रंग…
कुछ भाव थे कुछ बनावट - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
कुछ भाव थे कुछ बनावट, शब्दों में थी हृदय की आहट। उनकी इनकी गिनी थी पीड़ा, दूजों के लिए थी यह क्रीड़ा। दर्ज़ की पंक्तियों में वह अकुलाह…
अभिलाषा - कविता - मयंक द्विवेदी
हृदय, तुम्ही बतला दो क्या यही तुम्हारी अभिलाषा है? क्यों नन्ही कोमल सी कलियों से मन को काँटों का संग भाया है? हृदय, तुम्ही बतला दो क्य…
विशेष रचनाएँ
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