संदेश
दीमक - कविता - सैयद इंतज़ार अहमद
कभी अपनों को ठगता है, कभी ग़ैरों को छलता है। ये कलयुग का दरिंदा है, किसी का भी न रहता है। है जब तक फ़ायदा तुमसे, ये तुमसे चिपका रहता है।…
सात जन्मों के सातों वचन - कविता - शालिनी तिवारी
बढ़ रहे हैं दो अजनबियों के क़दम, लेने सात जन्मों के सातों वचन, दोनों के दिलों में है यह उलझन, क्या निभा पाएँगे सात जन्मों के सातों वचन?…
यादें - कविता - जितेंद्र रघुवंशी 'चाँद'
है तू नाराज़ तो ये भी सही है। इसी बहाने यादें तेरी आई, यादें जो कई है।। लेकिन, बताया नहीं क्यों नाराज़ है, ये भी अच्छा है, छिपा रहे राज़ …
मानसिक तनाव - आलेख - सुनील माहेश्वरी
अधिकतर तनाव का मुख्य कारण काम का समय से पूरा नहीं करना होता है, जिससे हमें मानसिक तनाव होता है, हमें अवचेतन मन में पता होता है कि हमें…
मत घबराना - कविता - संगीता भोई
ख़ुशियों की सुबह जो हुई है, फिर घनेरी शाम भी होगी। गर आज हैं दिन दर्द भरे, कल राहतें तेरे नाम भी होंगी। मंज़िल मिल ही जाएगी, मत घबराना…
हे सकल सृष्टि के शिल्पकार! - कविता - राघवेंद्र सिंह | भगवान विश्वकर्मा पर कविता
हे सकल सृष्टि के शिल्पकार! हे सृजन कला के अधिष्ठात्र! है नमन तुम्हें हे वास्तु पुत्र! हो कला अधिपति एक मात्र। तुम अस्त्र-शस्त्र के सूत…
ख़ुशी - कविता - नंदिनी लहेजा
दर्द को जो करती कम चेहरे पर मुस्कान लाती हैं, कहते हैं ख़ुशी उसे जो मन को गुदगुदाती हैं। दुख क्या, परेशानी क्या क्या नाराज़गी, जलन, मन म…
मैं सूरज हूँ - कविता - राकेश कुशवाहा राही
मैं क्षितिज का डूबता सूरज हूँ, मैं क्षितिज का उगता सूरज हूँ। मैं डूब अँधेरी गुहाओं में कहीं, तारों को महत्ता देता रहता हूँ। चाँद सूरज …
बीच ही सफ़र पाँव रोक ना मुसाफ़िर - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल
बीच ही सफ़र पाँव रोक ना मुसाफ़िर, आगे है सुहानी तेरी राह रे। कहने को जड़ है, ना चले रे हिमालय, बहने को नदिया में गले रे हिमालय, अरे, जड़ क…
लफ़्ज़ प्यार के ज़ुबाँ से कह जाएँगे - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'
लफ़्ज़ प्यार के ज़ुबाँ से कह जाएँगे, रुख़सत होंगे तो अश्क बह जाएँगे। नफ़रत के पहाड़ दिलों में है हमारे, कल तक पहाड़ देखना ढह जाएँगे। चला जाएग…
शीश महल - कविता - संजय राजभर 'समित'
पारदर्शी हो जो कुछ न छुपाता हो अंदर बाहर एक समान एक खुली किताब की तरह। जैसे– आत्मा जिसमें न घात न प्रतिशोध हो केवल प्रेम हो दया…
मैं वृक्ष वृद्ध हो चला - कविता - राम प्रसाद आर्य
फूलना-फलना था जो, दिन व दिन कम हो चला। वृद्धपन बढ़ता चला, यौवन का जोश अब ढँला। मैं वृक्ष वृद्ध हो चला॥ हर पात पीत हो चले, कली हर सिकुड…
क्या माँग भरने का मुझे अधिकार दोगी? - गीत - सुशील कुमार
उम्र भर ख़िदमत करूँगा सिर्फ़ यह विश्वास दो तुम, क्या अमर शौभाग्य बनने का मुझे अधिकार दोगी? कह रही हो तुझपे मेरा पूर्ण है अधिकार प्रियवर,…
हिंद का गौरव है हिंदी - कविता - द्रौपदी साहू
हिंद का गौरव है हिंदी, हिंदी मेरी जान। हिंदी से मेरी दुनिया, हिंदी मेरी पहचान॥ संस्कृत है जननी जिसकी, हिंदी है संतान। गाथा है जिसमें र…
हिंदी हम सबकी जान है - गीत - महेश 'अनजाना'
हिंदी तो अपनी शान है। हिंदी देश का अभिमान है। हिंदी खुली बाँहों वाली, हिंदी हम सबकी जान है। हिंदी ने सबको स्वीकारा, सबने इसको है स्वीक…
हिंदी हैं हम - कविता - रतन कुमार अगरवाला
हिंदी हैं हम, करते हैं हिंदी भाषा में भावों की अभिव्यक्ति, हिंदी में करते हैं बातें, करते हैं देवी देवताओं की भक्ति। हिंदी संग जन्म हु…
प्यारी हिंदी - कविता - सुबोध कुमार ठाकुर
हमारी हिन्दी प्यारी है, सभी भाषा से न्यारी है। हम भारतीयों को ये, प्राणों से भी प्यारी है॥ ये करना मेल सिखलाती, दिलों को जोड़ देती है। …
गौरवान्वित भाषा हैं हिन्दी - कविता - अंजली शर्मा
हिन्दी से पहचान है हमारी, बढ़ती इससे शान हमारी, सबसे सुन्दर भाषा हैं हिन्दी, सभी भाषाओं की जननी है हिन्दी, हर दिल की धड़कन है हिन्दी, …
हिंदी राजभाषा का उन्नयन और प्रसार - लेख - सुनीता भट्ट पैन्यूली
“जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।” – डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद 14 सितंबर यानि हिंदी राजभाषा…
शब्द तुम्हारे ज़रूर मिलेंगे - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी | हिंदी भाषा पर कविता
ऐ हिन्दी! तुम्हारी बदौलत, बहुतों ने पाई है शोहरत, हर ओर तुम्ही तुम रहो सदा, हमारी है बस इतनी चाहत। भाषाओं की कठिन डगर में, हम नहीं खड़े…
हिन्दी कब राष्ट्रभाषा बनेगी? - आलेख - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मागधी अर्द्ध मागधी प्राकृत संस्कृत से निर्मित ग्यारह सौ वर्षों के बृहत्काल में नवांकुरित नवपल्लवित पुष्पित और सुरभित फलित हिन्दी भाषा …
हिन्दी मेरी प्यारी भाषा - कविता - गणेश भारद्वाज
आपस के मतभेद मिटाती, भारत की नव आशा हिन्दी। पूर्व से पश्चिम मिलवाती, मेरी प्यारी भाषा हिन्दी। उत्तर से दक्षिण को जाती, मन में सुंदर भा…
हिन्दी तुझे बुला रही - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
हिन्दी तुझे बुला रही ऐ! हिन्दी ज़बान वाले, सिमट रही मेरी दुनिया आके मुझे बचाले। बहुत हरा भरा अपना प्यारा ये परिवार है, दुनिया के कोने-क…
हिंदी सचमुच महान है - कविता - आशीष कुमार
हिंदी महज़ भाषा नहीं, हम सब की पहचान है। जोड़े रखती मातृभूमि से, यह भारत की शान है। हिंदी में है मिठास भरी, सहज सरल आसान है। भावनाओं से…