संदेश
मैं लेखिका हूँ - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
जब एहसासों का समंदर उमड़ा हो, जब जज़्बात करवट लेने लगते हैं। जब भावनाओं का सामंजस्य बढ़-चढ़कर, अपना आकार लेने लगते हैं।। जब कोई अपनी स…
एक मुलाक़ात ख़ुद से - कविता - रतन कुमार अगरवाला
औरों से तो सब मिलते हैं, ख़ुद से न होती मुलाक़ात। आज ख़ुद को ख़ुद से मिलाया, यह भी हुई नई एक बात। औरों का साथ ढूँढता हर कोई, ख़ुद से क्यूँ …
दुनिया - कविता - बृज उमराव
सूनी धरती सूना अम्बर, सूना यह जग सारा। आओ मिलकर दीप जलाएँ, दूर करें अंधियारा।। जग की रीति है बड़ी पुरानी, तेरी मेरी भिन्न कहानी। सब मि…
प्रेमांजली - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
मेरे मन का कलश रिक्त, तुम मधुर सुधा से भरी हुई। बस यही एक आशा मेरी, तुम मेरी रिक्तता को भर दो। मैं प्रेम का प्यासा सागर हूँ, तुम मधुर …
साजन विरह नैन मैं भी बरसूँ - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
इन बारिस की बूँदों में भिगूँ, तन मन प्रीति हृदय गुलज़ार बनूँ। पलकों में छिपा मृगनैन नशा प्रिय, मुस्कान चपल अधर इज़हार करूँ। दूज चन्…
माँ की परिभाषा - कविता - समय सिंह जौल
वह पढी लिखी नहीं, लेकिन ज़िंदगी को पढा है। गिनती नहीं सीखी लेकिन, मेरी ग़लतियों को गिना है।। दी इतनी शक्ति हर जिव्हा बोले, देश प्रेम की …
उदास दिल - कविता - ऋचा तिवारी
ना जाने क्यूँ आज कल, ये दिल बहुत उदास है। कहने को तो सब है, पर एक सुकून की तलाश है। वक़्त की बेड़ियों ने कुछ ऐसे जकड़ी है ज़िंदगी। कि ख़ु…
सोचेंगे शाम को - ग़ज़ल - मनजीत भोला
अरकान : मफ़ऊलु फाइलुन मफ़ऊलु फाइलुन तक़ती : 221 212 221 212 दालान ही नहीं हम उनके बाम को। नज़रों के सामने रखते हैं जाम को।। ज़िक्रा न छेड़…
ज़िंदगी - कविता - डॉ. ललिता यादव
ऐ ज़िंदगी तूने मुझे रुसवा करना छोड़ दिया, क्योंकि मैंने तेरे रूखेपन से मुँह मोड़ लिया। लोगों के बदलते रंग को देखकर हैरान नहीं हूँ, सब इस …
उम्मीद अभी बाक़ी है - कविता - प्रभात पांडे
अभी मुझे जीवन में, कुछ करना काम बाक़ी है, अपने आलोचकों को, देना जवाब बाक़ी है। अभी मैं अन्जान हूँ, ज़माने की नज़र में, नाम अपना भी नग़मानिग…
सूरज कभी बीमार नहीं होता - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
सूरज कभी बीमार होकर थकता नहीं है, चलना ही उसकी नियत है, अगर सूरज थक गया तो धरी की धरी रह जाएगी सारी विरासत। सूरज से हमें प्रेरणा मिलत…
सावन की बरसात - गीत - गाज़ी आचार्य "गाज़ी"
आया बरसात का मौसम झूमले, बादल आए झूम झूमके और बादलों को चूमले। ऋतु बदली गया ज्येष्ठ आषाढ़ साल का था इंतज़ार माह बदले और आए सावन झूमके…
लेखनी - कविता - रतन कुमार अगरवाला
उम्र के इस गुज़रते पड़ाव में, लिखना जब शुरू किया मैने। लेखनी से हुई दोस्ती मेरी, ज़िंदगी का नया रूप जिया मैने। भावों को शब्दों में पिरोय…
काले मेघ अब बरस जाओ - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
आसमान में लुका छिपी का खेल अब और न करो, हमारी उम्मीदों पर अब आरी न और चलाओ। हे काले मेघ तरस खाओ बस एक बार जमकर बरस जाओ, धरा की प्यास …
थोड़ा सा प्यार लुटाओ तो - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जीने का मज़ा तो आता है, औरों के ख़ातिर जीने में। कितना सुकूँ मिल जाता है, औरों के आँसू पीने में। ओ हो हो हो ओ हो हो हो...3 ये जीना भी क्…
क्यूँ रुके हैं तेरे शिथिल चरण - कविता - अभिषेक मिश्रा
रुक गए जो तेरे शिथिल चरण, मृत्यु का होगा आमंत्रण। दुःख से विरक्त है कोई जग में गर्वित है कौन हुआ नभ में, कर्तव्य राह में होगा रण, मन क…
वो रिश्ता जो छोड़ आया था - संस्मरण - भगवत पटेल
ज़िन्दगी बहुत बोलती है हमेशा कुछ न कुछ पाने की ख़्वाहिश में जितना पाती नहीं उतना छोड़ देती। चूंकि मेरा सेवा निवृत्त का समय नज़दीक है और …
राम पद वन्दन - कविता - प्रवीन "पथिक"
राम नाम बचा कलयुग में, जीने का एक सहारा। इसके बिन व्यर्थ है जीवन, चाहे वैभव हो सारा। पौरुष, बाहुबल या साहस पर, होता लोगो का अभिमान। टू…
प्यासी धरा - कविता - महेन्द्र सिंह राज
घनघोर घटा मड़राई अम्बर में बादल छाए, करते हैं आँख-मिचौनी जब इधर उधर को धाए। बादल की आँख-मिचौनी अब देख धरा हरषाए, वारिद मिलने को आतुर …
जीवन के दो पल - गीत - डॉ. शंकरलाल शास्त्री
ज़िंदगी का सफ़र प्यारा, हमें कुछ यूँ सिखाता है। बढें पथ पे सदा जो हम, हमें तो चलते जाना है। जीवन की डगर ऐसी, पल-पल काँटों की छड़ी। काँटो…
कैसी दुनिया - गीत - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
ईश्वर कैसी दुनिया है तेरी, यहाँ रोते लोग हज़ारों हैं। मंदिर में छप्पन भोग लगें, प्रभु फल मेवा भण्डारे चुगें, तरसते भिक्षुक हज़ारों हैं। …
किताबें और विद्यार्थी - कविता - शिवचरण सदाबहार
किताबें ही तेरा शृंगार है विद्यार्थी, किताबें ही तेरा प्यार है विद्यार्थी। किसी को साथी ना बना अकेला ही चल, किताबें ही तेरी यार है …
क्या मिल जाएगा तुम को हम पर इल्ज़ाम लगाने से - ग़ज़ल - सुखवीर चौधरी
अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन तक़ती: 1222 1222 1222 1222 क्या मिल जाएगा तुम को हम पर इल्ज़ाम लगाने से। सूरज पर कुछ फ़र्क नही…
सुहानी ढलती शाम हो - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
दिल में यादें तमाम हो, सुहानी ढलती शाम हो। यादें याद आती रही, हँसाती, रुलाती रही, बुलबुल चहचहाती रही, बारिश में ये नहाती रही। ज़ुबान पर…
संसार लेकर किया करोगे - गीत - रश्मि प्रभाकर
तुम नहीं स्तम्भ सारा भार लेकर क्या करोगे? जब धरा तुम हो नहीं आधार लेकर क्या करोगे? तुम रहो बादल बने, जब तब गगन पर छा गए, जब सहा ना जाए…