संदेश
मेरे पूर्वज - कविता - गोपाल मोहन मिश्र
मेरे पूर्वज, कहाँ चले गए आप, किस धुँध में खो गए आप, सुर वीणा के तार छेड़कर, एक नई पीढ़ी की नींव रखकर, कहीं अनंत में गुम हो गए आप। मेरे…
नौ दिन माँ की साधना के - लेख - दीक्षा अवस्थी
नवरात्र में नौ दिन माँ की साधना की जाती है। इन दिनों माँ की पूजा करने पर भक्तों को अभिन्न फल की प्राप्ति होती है। इन दिनों व्रत करने व…
डॉ. भीमराव अम्बेदकर - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
बदला मानक दलित का, साररस्वत व्यक्तित्व। बाबा साहब बुद्धि बल, भीमराव अस्तित्व।। मिली वतन स्वाधीनता, बना नहीं गणतन्त्र। संविधान निर्माण …
जगत जननी दुर्गमा - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
हे! माँ जगत जननी दुर्गमा, अब विश्व का कल्याण कर दे। हम सभी तो शिशु तुम्हारे, प्यार का आँचल प्रहर दे। हे! दयामयि हे! क्षमामयि, अब कष्ट …
मंगलमय नव वर्ष रहे - गीत - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"
रजत रबी रंजित फसलों से, घर-आँगन है भरा-भरा। सूर्य-धरा की समीपता से, मलिन बदन भी हरा-हरा। मंजरियों से लदे आम्र में, नव कोंपल उत्कर्ष रह…
माँ के शुभ नौ रूप - दोहा छंद - श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल"
नव संवत्सर आ गया, लेकर नव उत्कर्ष। मंगलमय हो शुभ सदा, भारतीय नव वर्ष।। फसलें सुख समृद्धि का, गातीं मधुरिम गान। भरे अन्न भण्डार अब, प्र…
माता - नवगीत - डॉ. सरला सिंह "स्निग्धा"
आई माता द्वार पर, गूँज रही जयकार। हर्षित मन इतरा रहा सपने हैं साकार। मन में दीपक नेह का, जला आरती आज। करना माँ सब पर कृपा, पूरी करना…
तुम जैसे ना जग में महान - कविता - हरदीप बौद्ध
ज्ञान के सूर्य युग प्रवर्तक ना तुम जैसा कोई जग में महान। कर महापरिवर्तन भारत में, किया सभी को एक समान।। मज़लूमों के तुम थे हितकारी, जिस…
आ गई माता रानी - कविता - गुड़िया सिंह
आ गई है माता रानी, दुखड़े सभी के हरने को। हर विपदा का संघार कर, जग कल्याण करने को।। बरसा देती है करुणा सब पर, यह दयामयी "जगदम्बा&q…
लॉकडाउन 3 और मधुशाला - गीत - अजय गुप्ता "अजेय"
यह रचना उस समय लिखी गई थी जब लॉकडाउन 3 में पंजाब व अन्य राज्यों के दबाव के कारण ठेके खोले गए थे और जिससे सड़कों पर लम्बी लम्बी लाइन लगा…
जन्मदिन मेरा आया - कविता - शमा परवीन
जन्मदिन मेरा आया, अपनो ने क्या खूब मनाया, अंदाज़ अलग-अलग हैं अपनेपन का, यह देख आज मेरा दिल भर आया। सुबह से ही दुआओं का सिलसिला, मुझ तक…
आदिवासी - लेख - मंजरी "निधि"
भारत देश विभिन्न संस्कृति, विभिन्न धर्मों, विभिन्न जनजातियों और भाषाओं का सम्मिश्रण है। यहाँ के लोग शहरों, गाँवों और जंगलों में रहना ज़…
प्रात बेला - कविता - आलोक कौशिक
लालिमा का अवतरण है, रोशनी का आवरण है। भोर आई सुखद बनकर, सूर्य का यह संचरण है। प्रकृति का आलस्य टूटा, तमस भागा और रुठा। हो गई धरती सुहा…
रोटी की भूख - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
झारखण्ड के कोयलांचल में जीने की ललक... चंद रोटियों को तलाशती है किसी कोयले की टोकरी में कि गुम हो गई हो काली अँधियारे में... गोल-गोल …
कर्म ही पूजा है - लेख - शेखर कुमार रंजन
खुश रहना चाहते हो, अपनी मंज़िल को पाना चाहते हो, जीवन में सफल होना चाहते हो तो मोह का त्याग, सुख- दुःख, फ़ायदे और नुकसान को छोड़कर जीत की…
तुझ संग जुड़े नेह के तार - गीत - रमाकांत सोनी
जीवन पथ की हमसफ़र हो, मेरे दिल का तुम करार। मधुर संगीत का साज़ हो, तुम संग जुड़े नेह के तार। कितना प्यारा प्यारा लगता, सुंदर सुंदर यह सं…
किया कुछ भी नही है ज़िंदगी में - ग़ज़ल - अभिनव मिश्र "अदम्य"
गँवाया है समय सब दिल्लगी में, कटे अब हर घड़ी इक बेकली में। मुहब्बत इश्क़ की बातों में पड़कर, हमेशा जल रहा हूँ तिश्नगी में। तुम्हारी बेरुख़…
निर्गुण - अवधी गीत - संजय राजभर "समित"
समयिया के रथवा पे, उमरिया सवार बा। बालू नियर मुट्ठी में, जिनगिया हमार बा।। हे! कवन सुख पइबय तू, माया के बटोरी। केतनो सहेज लेबय, होइ …
ये जीना भी कैसा जीना - कविता - तेज देवांगन
ये जीना भी कैसा जीना, दर्द से पसीजा हुआ सीना। आँखें हर दफ़ा हो रही नम, ज़िंदगी में चहु ओर ग़म ही ग़म। मुंख तरसे बतियाने को, चक्षु तरसे दर…
हे नारी शक्ति स्वरूपा - कविता - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
हे नारी शक्ति स्वरूपा हो मत भूलो अपनी ताकत को, निराला की पत्थर तोड़ती तुम मत भूलो उस पत्थर को। पाषाण सा सिर तो नहीं उस हवसी अत्याचारी …
मनुज देह सौभाग्य - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
पंच प्राण धारक जगत, पंचतत्त्व का देह। अहर्निशा सुख दुःख सम, परहित जग हो श्रेय।। लावण्य रूप तनु चारुतम, जन्मा पूत कुलीन। कर्म शील वि…
ये अपना वतन है - गीत - जे. पी. सहज
नफ़रत की दीवार, हमको नहीं चाहिए, ये मज़हबी तकरार, हमको नहीं चाहिए। ये अपना वतन है, प्यारा वतन है हम सबका वतन है, ये सारा वतन है ये अप…
ज़िंदगी की राह - कविता - रविन्द्र कुमार वर्मा
ज़िंदगी की राह में, गुलशन भी है सहरा भी है। मदमस्त सा जीवन भी है, जीवन पे फिर पहरा भी है।। राह सूनी सी भी है और क़ाफ़िलों का दौर भी, बिखर…
सतरंगी यादें - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
सतरंगी तेरी याद ने कल रात जब छुआ, मैं खो गया ख़्वावों में तेरे जाने क्या हुआ। मैं आज जिस मुकाम पर हूँ ऐ मेरे सनम, सब है कमाल प्यार का त…
माँ - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
चंदन जैसी माँ तेरी ममता, तेरी मिसाल कहाँ दूँ माँ। जनम मिले गर फिर धरती पर, तेरा ही लाल बनूँगा माँ। तूने कितनी रातें वारी, जाग जाग कर म…