संदेश
अपना फ़र्ज़ - गीत - राहुल सिंह "शाहावादी"
मान रखेगा तू पुरखों का, सदा देश का हित करना। इस धरती का कण-कण सोना, तुम सदा ध्यान इसका रखना।। है अब भार वतन का तुझपर, …
जिस्म का लिबास रहो तुम - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
यूं न तन्हा-उदास रहो तुम, दिल के आसपास रहो तुम ! मिटा दो शक की सब तहरीरें, रिश्तों का एहसास रहो तुम ! बेवफ़ाई को कर दर-किनार, …
पुनर्मूषको भव: - कविता - सुधीर कुमार रंजन
आज़ मन में, एक बार फिर, वही सवाल आया ? कि आदमी जब, जन्म लेता है, और फ़िर मरता है, तब वह नंगा, क्यों दिखता है ? कुछ भी तो उसक…
माँ - कविता - कपिलदेव आर्य
भीग जाते हैं शफ़े और काग़ज़ भी, मैं जब भी कलम से माँ लिखता हूँ! हे माँ, लफ़्ज़ों में तेरी सूरत झलकती है, मैं फिर वही नन्हा सा बच…
कुछ पल तेरे संग - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
कुछ पल तेरे संग बिताएँ, स्वप्निल दुनिया साथ रचाएँ। जिए साथ हम बन हमजोली, नवजीवन आलोक जगाएँ। अन्तर्मन अवसाद भुला…
आज का रावण - कविता - राजीव कुमार
आज का रावण ज्यादा हाई-टेक है, वह आज भी राम की कुण्डली लिखता है। सीता को पहले से ही हर कर अंगिका बना बंदिनी बना देता है उ…
शिक्षक - कविता - अतुल पाठक
कोरोना महामारी के दौर में भी, शिक्षक विद्यालय जाते हैं। हम बच्चे घर पर बैठे उनसे, ऑनलाइन शिक्षा को पाते हैं। हम होते बच्चे को…
तीन लोग - कविता - आलोक कौशिक
तीन लोग संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे और नारे लगा रहे थे एक कह रहा था हमें मंदिर चाहिए दूसरा कह रहा था हमें मस्जिद …
इश्क़ से इस्तीफा - कविता - मनोज यादव
पहली मर्तबा सरेबाजार देखा तुझे तो सोच लिया, यही एक काम जिंदगी भर करूँगा। दुनियाबी सितम से बेपरवाह रहूंगा और नही दूंगा इश्क़ से इस…
माफ़ी - गीत - संजय राजभर "समित"
मनुजता का लाज रखना है। सहज होकर माफ़ करना है।। भारी मन बस एक बोझ है, क्रोध, बदला, कलुषित सोच है। निश्छलता में सहज प्रीत है, स…
जल है तो कल है - कविता - सुनीता रानी राठौर
जल बचाओ जीवन बचाओ, नदी का जल स्वच्छ बनाओ। तालाब में जल संग्रहित कर, वर्षा के बहते जल बचाओ। जल है तो सबका जीवन है, हर प्राण…
चिंता - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
बहुत कठिन है चिंता को परभाषित करना, हमारा काम है बस चिंता, चिंता और चिंता से ही मुक्ति की कोशिश करना। चिंता चित्त की चिता बनकर…
मधुर रिश्ते - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मधुरिम रिश्ते नित सुखद, हैं जीवन वरदान। अति कोमल नाजुक सतत, निर्भर नित सम्मान।।१।। निर्भर हो रिश्ते मधुर, त…
परछाई - कविता - प्रियंका चौधरी परलीका
कभी कभी सुकुन देती हैं, अपनी परछाई देखना परछाई से बातें करना । कुछ बातें… जो हमारे दिमाग में होती है , दिल कहने नहीं देता । …
मैं और मेरा मन - कविता - श्रीकान्त सतपथी
जब जब भी देखा उसको क्यों दिल में हलचल सा होने लगा ख़्वाबों खयालों के मेले में क्यों बैचैन दीवाना सा होने लगा जो कुछ चाहा, सब है…
बड़ी कला है दुश्मन को दोस्त बनाना - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
यह अपने आप में एक बहुत बड़ी कला है। प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है और बैर सबसे बड़ी संहारक शक्ति। यूँ तो दोस्ती और दुश्मनी में …
कहाँ मिलेगी वो - कविता - प्रवीन "पथिक"
जिसकी आँखो की तलाश रहे। जिसका जीवन को प्यास रहे। ख़्वाबों में मिलकर मुझे; सताती है जो, कहाँ मिलेगी वो। हर पल रह…
ज़ख्म देती रही ये दुनिया मुझको - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
हमने जारी ये सिलसिला रक्खा आपसे हर- वक़्त राब्ता रक्खा क़रीब और क़रीब होता रहा था मैं उसी ने जाने क्यूँ फासला रक्खा क़दम-क़दम पे ठ…
पिता - कविता - कपिलदेव आर्य
पिता धरती पर ख़ुशियों का फ़रमान है, पिता का साया नहीं हो, वो घर बेजान है! जिनके सरों पर पिता नामका आसमान है, उनके लिए दुनिया में…
करो कृष्ण प्रातः स्मरण - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
भज रे मन श्रीकृष्ण को, जो हरि परमानन्द। भवसागर से पार हो, खिले भक्ति मकरन्द।।१।। जय बोलो गोविन्द की, दामोदर अभिराम। करो कृष्ण …
आदमीयत - कविता - सुधीर कुमार रंजन
मैं आदमी हूँ, मुझे आदमी ही रहने दो। क्यों मुझे बांधना, चाहते हो, अपने जंजीरों में? मत चस्पा करो, अपनी पहचान, मुझ पर, तुम्हार…
अखंड हिन्दुस्तान - गीत - संजय राजभर "समित"
रग-रग में है भाव भरा अखंड हिन्दुस्तान का। मानचित्र दिल दिमाग में रहता हिन्दुस्तान का।। उत्तर में खड़ा हिमालय, देखो सीना तान के …
अन्तिम विदायी - गीत - बजरंगी लाल
फूल माला से जिसको सजाया था मैं, करके शादी जिसे घर पे लाया था मैं, बनके जीवन की मेंरे वो साथी रही, मेंरे सुख-दु:ख के पल की वो भाग…
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