संदेश
यह मेरी लघु अक्षरजननी - कविता - राघवेंद्र सिंह
यह मेरी लघु अक्षरजननी, सूने पथ का एक सहारा। प्रतिक्षण ही मेरे उर रहती, गगरी में भरती जग सारा। कभी भोर लिखती, ऊषा वह, कभी सांध्य-बेला अ…
हे क़लम! तुम्हें है नमन सदा - कविता - राघवेंद्र सिंह
हे क़लम! तुम्हें है नमन सदा, कुछ आज परिश्रम कर जाओ। एक नई प्रेरणा लिखकर तुम, उद्गार हृदय में भर जाओ। हर पंक्ति में नव उद्देश्य सदा, हर …
लिख दे कलम ओ प्यारी - कविता - राघवेंद्र सिंह
जिस राह वो चली थी, भारत की नौजवानी। लिख दे कलम ओ प्यारी, मेरे देश की कहानी। जिस राह वो चले थे, आज़ाद चंद्रशेखर। उस राह सब चले हैं, हाथ…
कलम का पुजारी - कविता - रमाकांत सोनी
नज़र उठाकर देखो ज़रा, पहचान लीजिए। कलम का पुजारी हूँ, ज़रा ध्यान दीजिए। शब्दों की माला लेकर, भाव मोती पिरोता हूँ। काग़ज़ कलम लेकर, मैं सप…
क़लम - कविता - संजय परगाँई
कभी अतीत की यादें, तो कभी भविष्य की बातें, कभी टूटे दिलों के हाल, तो कभी मोह मायाजाल, कभी अधूरी सी कहानी, तो कभी अजीब सुनसानी, कभी ज़मा…
कविता की हुँकार - कविता - रमाकांत सोनी
कलमकार कलम के पुजारी लोग कवि कहते हैं, सुधारस बहाते कविता का छाए दिलों में रहते हैं। लेखनी ले कवि हाथों में ओज भरती हुँकार लिखें, माँ …
कलम - कविता - डॉ॰ मीनू पूनिया
रंग रूप और भिन्न आकार, लिखने का मैं करती काम। छोटी बड़ी और रंग बिरंगी, मीनू मेरा कलम है नाम। प्राचीन ग्रंथों की बनावट में, मैंने ही तो…