संदेश
दामाद की ससुराल कथा - कविता - विजय कुमार सिन्हा
ससुराल में सासू माँ का प्यारा होता है दामाद। दामाद जो पहुँच जाए ससुराल घर के सारे लग जाते ख़ातिरदारी में। दामाद था बातों की जादूगर अ…
साला का महत्व - कविता - विजय कुमार सिन्हा
जिस घर में मेरा विवाह तय हुआ उस घर में पहले से था एक जमाई रिश्ते में था वह मेरा भाई। एक दिन मैंने उससे कहा– तुम तो अनुभवी हो ससुराल …
मेरी तबियत ख़राब है - हास्य कविता - शुभम पाठक
डॉक्टर साहब मेरी तबीयत ख़राब है, इसके पीछे की वजह सिर्फ़ शराब है। एक बार मुझे ठीक कर दो, मेरे अंदर दवा गोलियों का डोज भर दो। फिर कभी नही…
सरकारी दफ़्तर - हास्य कविता - सौरभ तिवारी
काली रातों में नहीं, होते अब अपराध। दिन में दफ़्तर खोलते साढ़े दस के, बाद।। ख़ून नहीं, ख़ंजर नहीं काग़ज़ के हथियार। लूट डकैती, सब करें पढ़े ल…
लइका एम०ए० पास ह - हास्य भोजपुरी कविता - प्रवीन "पथिक"
पाँच लाख त नग़द चाहीं, अवरू एगो गाड़ी। फ्रिज कूलर रंगीन टी०वी०, दूध ख़ातिर चाही पाड़ी। एहि पाड़ा के जम के पोसनी, एकरे पर मोर आस ह। ठीक-ठ…
मेरी प्रिय - हास्य कविता - समय सिंह जौल
तुझको ना देखूँ तो मन घबराता है, तुझ से बातें करके दिल बहल जाता है। मेरा खाना पानी भूल जाना, तुझे भूखी देखकर तुरंत खाना देना, रात को भी…
अपना भी एक विधायक हो - हास्य कविता - योगेन्द्र शर्मा 'योगी'
इस लोकतंत्र की धुन गाने को चाहे जैसा गायक हो लायक हो नालायक हो अपना भी एक विधायक हो। राजनीत के गलियारे में अपनी हस्ती बना के लुटे बस्त…