संदेश
धरे रहे सब ख़्वाब - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
धरे रहे सब ख़्वाब, आँखें बोझिल थी। आसूँ की सौग़ात, सावन को भी मात, हाथों में नहीं हाथ, छूटा स्नेह का साथ, पर मधुर रहा बोल, शायद कोयल थी।…
अनोखा स्वप्न - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हर उदासी की, एक कहानी होती है। जिसे पढ़ना, सब पसंद करते हैं। भोगना नहीं। हर कहानी में एक दर्द होता है! जो भले हृदय में न हो, पर,…
एक सपना था - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
एक सपना था, जो जाग रहा। दूब पे बिखरी ओस का, स्पर्श जो था पाँओं को। विपन्नता से जीवनयापन का, कुल ज्ञान था गाँवों को। पेड़ों की एकांत स्…
ख़्वाब - कविता - विजय कुमार सिन्हा
अब ख़्वाबों की क्या कहें ये अपने तो होते नहीं पर नज़रों में सदा बने रहते हैं। बेगानी और बेदर्द ज़माने में सदा रंगीन सपने सँजोए रहते हैं।…
मेरे सपने लौटा दो - कविता - रूशदा नाज़
वो बचपन था ढेरों सपने सजाए थे इन आँखों ने साकार करेंगें एक दिन, हम होगें कामयाब एक दिन हर्षोल्लास के संग गाते थे गीत वक़्त के साथ साथ ह…
आँखों का सपना - कविता - डॉ॰ आलोक चांटिया
दिन भर मुट्ठी में उजाला पकड़ता रहा, फिर भी क्यों मन अँधेरे से डरता रहा, पग ने भी जाने कितना पथ चल डाला, कहते जीवन को अब भी है, मधुशाला…
एक ख़्वाब - कविता - प्रवीन 'पथिक'
जीवन की गोधूली में, अतृप्त आकांक्षाओं का स्वप्न; आशान्वित हो तैरता है। किसी संघर्ष की छाती पर, उठता ऑंखों में अंधड़; गुर्राता झंझा का …