संदेश
पार्क की चोरी - कहानी - डॉ॰ ममता मेहता
छनाक... छन छननन की आवाज़ आई, मैं समझ गया देश की भावी क्रिकेट टीम के भावी धुरंधर बल्लेबाजों ने अपना कमाल दिखा दिया है। मैं बाहर भागा। दे…
सरकारी दफ़्तर - हास्य कविता - सौरभ तिवारी
काली रातों में नहीं, होते अब अपराध। दिन में दफ़्तर खोलते साढ़े दस के, बाद।। ख़ून नहीं, ख़ंजर नहीं काग़ज़ के हथियार। लूट डकैती, सब करें पढ़े ल…
लइका एम०ए० पास ह - हास्य भोजपुरी कविता - प्रवीन "पथिक"
पाँच लाख त नग़द चाहीं, अवरू एगो गाड़ी। फ्रिज कूलर रंगीन टी०वी०, दूध ख़ातिर चाही पाड़ी। एहि पाड़ा के जम के पोसनी, एकरे पर मोर आस ह। ठीक-ठ…
मेरी प्रिय - हास्य कविता - समय सिंह जौल
तुझको ना देखूँ तो मन घबराता है, तुझ से बातें करके दिल बहल जाता है। मेरा खाना पानी भूल जाना, तुझे भूखी देखकर तुरंत खाना देना, रात को भी…
पच्चीस से माथा-पच्ची - व्यंग्य कथा - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
हमारे यहाँ शादी हो समारोह हो या फिर हो तेरहवीं की दावत, जलवे जब तक तलवे झाड़ के न हो तब तक स्वर्गवासी आत्मा को भी शांती नही मिलती है। अ…
आधुनिक साहित्यकार - व्यंग्य लेख - सुधीर श्रीवास्तव
नमस्कार दोस्तों! हाँ मैं छपासीय संस्कृति का आधुनिक साहित्यकार हूँ। अब ये आप की कमी है कि अभी तक आप पुरातन युग में ही जी रहे हैं। अरे …
अपना भी एक विधायक हो - हास्य कविता - योगेन्द्र शर्मा 'योगी'
इस लोकतंत्र की धुन गाने को चाहे जैसा गायक हो लायक हो नालायक हो अपना भी एक विधायक हो। राजनीत के गलियारे में अपनी हस्ती बना के लुटे बस्त…