संदेश
ओ लड़की - कविता - विक्रांत कुमार
बसंत की आहट से मन आह्लादित है अंतर्मन से खोया हूँ तुम्हें ध्यान-मग्न कर रहा हूँ गेहूँ की खेत में गलथल पगडंडियों पर लहलहाते सरसों की…
एक गुड़िया सी लड़की - कविता - रमाकान्त चौधरी
एक गुड़िया सी लड़की घर में, बातें बहुत बनाती है, है नटखट शैतान बहुत, पर सबके दिल को भाती है। घर भर को है ख़ूब रिझाती, अपनी मीठी बोली …
दुल्हन - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
मेहँदी भरे हाथ और किए सोलह शृंगार, मन में उथल पुथल कि जाने कैसा होगा ससुराल। नाज़ुक मन है, नाज़ुक तन है, और है दिल में भाव अपार, क्या सा…
चरित्रहीन - कविता - अनुष्का द्विवेदी
पंद्रह साल की लड़की हाथो पर मेहँदी से प्रेमी का नाम सजा रही है और शर्माकर हाथों को छुपा रही है। चुपके से आईना के सामने छोटी टिकुली लग…
लड़की हूँ मैं - कविता - दिव्यांशी निषाद
उलझे हुए मिज़ाज की सुलझी हुई लड़की हूँ मैं। जवाब-तलब करू तो दुनिया के लिए भड़की हूँ मैं। अपने लक्ष्य को पाने की ज़िद्दी हूँ मैं। ज़िंदगी …
तुम लड़की हो - कविता - ईशा शर्मा
तुम लड़की हो, तुम क्यों बोलती हो? तुम्हारा बोलना उन्हें पसंद नहीं, तुम जो यूँ नज़रें नीची करने की बजाय लड़कों की आँखों में आँखें डाल क…
मैं परी हूँ जीवन की - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मैं परी हूँ जीवन की, न केवल खुशी अपनों की, अहसास हूँ हर पल, चाहत हूँ नवयुग के आधान का, धरणी हूँ ममता का सतत् क्षीरसागर पालिका भविष…