संदेश
कृष्ण अर्जुन संवाद - कविता - सुनील गुप्ता
युद्ध में अपनों को देख, अर्जुन का गाण्डीव थम गया, बालक की भाँति रोता देख, सारा पांडव दल सहम गया। लड़खड़ाते पैरों के सहारे, रथ पर वह वि…
हे पार्थ! सुनो केशव के मन की पुकार - कविता - सिद्धार्थ 'सोहम'
हे पार्थ! सुनो केशव के मन की पुकार। गांडीव अगर धर सकते हो मानो की भूले क्षत्रिय धर्म, लुटती द्रौपदी की इज़्ज़त को लुटता नारीत्व सौभाग…
धृतराष्ट्र आज क्यूँ रोते हो? - कविता - अनूप अंबर
धृतराष्ट्र आज क्यूँ रोते हो? वैसी फ़सल काटोगे जैसे बीज तुम बोते हो। कितना समझाया वासुदेव ने, पर तुमको समझ न आया था। उस भरी सभा में दुर्…
दुर्योधन क्या बाँध पाएगा? - कविता - मयंक द्विवेदी
न बाँध सका जिसे कारागृह, न बाँध सके जिसे नंद अयन, न बाँध सके यशोदा सूत बंधन, न साध सके जिसे कंस भुजबल, दुर्योधन क्या कर पाएगा? प्रत्य…
लक्ष्यभेद अब करना होगा - कविता - राघवेंद्र सिंह
जीवन के इस महासमर में, तुझको न अब डरना होगा। अर्जुन की ही भाँति तुझे भी, लक्ष्यभेद अब करना होगा। इस शूलित पथ पर तुझको ही, शकुनी-सा छल …
महावीर सूर्यपुत्र कर्ण - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
उठो पार्थ प्रहार करो, ये सूरज ढलने वाला है, क्षणिक तनिक तुम देर किए, तो रथ निकलने वाला है। यह गांडीव धरा रह जाएगा, जब विजय धनुष टकारा…
कुरुक्षेत्र भी फूट-फूट रोया है - कविता - मयंक द्विवेदी
समय रेत के साँचों पर शर शैय्या के बाणों पर चुभते तीरों की नोकों पर एक युगपुरुष सोया है देख-देख उसको भी करूक्षेत्र भी फूट-फूट रोया है। …