संदेश
भोर - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
मुर्गे बाँग दे उठे तन कर, होने लगी विदाई तम की। मन्दस्मित मुस्कान उषा की, गगन भेदती झिलमिल चमकी॥ पूर्व दिशा से भुवन भास्कर, धीरे-धीर…
नवभोर - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
नवभोर नमन मंगलमय जन, खिले चमन नव प्रगति सुमन। पथ नवल सोच नवशोध सुयश, नवयुवा देश हित भक्ति किरण। कर्म कुशल युवा जन मन भारत, सच्चरि…
चल कर आती है भोर - गीत - डॉ॰ सुमन सुरभि
शबनम में भीगे से फूलों की शाखों पर रंग बिखराती तितलियों के पाँखों पर बुझे हुए दीपों के कृष्णकाय ताखों पर कजरारी अलसाई अधखुली आँखों …
प्रकृति का अनोखा अवतार - कविता - प्रतिभा नायक
भोर भई भानु चढ़ आए नीले अनन्त आकाश पर सूर्य की ललित लालिमा प्रभात गीत गाए गगन पर। चढ़े सूरज सीस पर धूप चुभती चटक सूई सी शूल समान दिनकर…
स्फूर्ती - आलेख - निशांत सक्सेना "आहान"
हर बार जब आप जागते हैं तो आप एक अलग व्यक्ति होते हैं। नए दिनकर के साथ शरीर स्फूर्ति से परिपूर्ण होता हैं। आलस्य भी विभावरी के साथ उड़नछ…
सहर - गीत - रमाकांत सोनी
सहर से लेकर शाम तक, गोकुल वृंदावन धाम तक। मुरली मोहन मधुर सुनाते, प्यारी माधव की है झलक।। रवि रथ आया सहर में, नव उर्जा लाया पहर में। अ…
प्रात बेला - कविता - आलोक कौशिक
लालिमा का अवतरण है, रोशनी का आवरण है। भोर आई सुखद बनकर, सूर्य का यह संचरण है। प्रकृति का आलस्य टूटा, तमस भागा और रुठा। हो गई धरती सुहा…