संदेश
देश की माटी है चंदन - कविता - इन्द्र प्रसाद
देश की माटी है चंदन। करें हम बार बार वंदन॥ १ प्रकृति की अनुपम सुषमा यहाँ, और षड् ऋतुएँ मिलती कहाँ। यहीं हिमधारे पर्वतराज, तपस्वी …
हर कलम यहाँ शमशीर है - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल
अपना हर आँगन नेफ़ा है, हर बगिया कश्मीर है, स्याही की हर बूँद लहू है, हर कलम यहाँ शमशीर है। हम आँगन के रखवारे हैं, औ' बगिया के माली …
चाँद पर पहुँचा भारत - कविता - डॉ॰ सहाना प्रसाद
चाँद पर पहुँचा भारत, दिखाई हमने अपनी ताक़त। विज्ञान का महत्त्व पता चला, मेहनत से होता ही है भला। अब हैं सब की ज़ुबान पे, कुछ शब्द बाह्या…
सारे जग से प्यारा भारत - कविता - राहुल सिंह 'शाहावादी'
सारे जग से प्यारा भारत, यह सतियों का देश महान। उपजी जहाँ असंख्य शक्तियाँ, परिचित हैं सब देश जहाँन॥ जहाँ जान दी पद्मिनियों ने, कर्म न थ…
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - निबंध - भारतेंदु हरिश्चंद्र
आज बड़े आनन्द का दिन है कि छोटे से नगर बलिया में हम इतने मनुष्यों को एक बड़े उत्साह से एक स्थान पर देखते हैं। इस अभागे आलसी देश में जो क…
मेरा मान - कविता - महेश कुमार हरियाणवी
कोई सर पर उड़ता यान है, कोई कारीगर करवान है। कोई मिट्टी की पहचान है, कोई चौखट का अभिमान है। कोई शिक्षा में गुणवान है, कोई सरकस की कमान …
हमारा भारत - गीत - डॉ॰ रवि भूषण सिन्हा
अरुणाचल है शीश हमारा, कश्मीर से कन्याकुमारी, मेरी बाँहें। राजस्थान, गुजरात है पग हमारा, और दिल्ली आत्मा, और दिल्ली आत्मा। है है, है है…