संदेश
अमलतास के फूल - कविता - इमरान खान
अमलतास के फूलों पर खिल उठे है इंद्रधनुष! बादल घिर आए है, समुंद्र की सुनहरी धूप में! और दूर तक फैली दिखाई देती है, कोहरे की सपाट सड़क! …
फूल और हम - कविता - वंदना यादव
हम - पूछ रहे है कलियों से कब ये तुमको खिलना है, बस कुछ पल की देरी है, अब किसी से हमको मिलना है। जल्दी उठो पंखुड़ियाँ खोलो, अब कुछ न त…
मदमस्त पुष्प - कविता - गणेश भारद्वाज
आई थी मनभावन आँधी, मेरे भी नीरस जीवन में। जी भर उसने कोशिश की थी, पर चमक नहीं थी सीवन में। शंकाओं में पल बीत गए, वो हार गए हम जीत गए। …
हरसिंगार - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
सायंकाल जब मैं पहुँचा फूलते हरसिंगार के पास वह रोनें लगा, तुम्हारे न रहने के बाद कौन बुझाएगा मेरी प्यास? तुम्हारे अन्तिम प्रयाण पर तुम…
युद्ध और सफ़ेद फूल - कविता - मयंक मिश्र
सफ़ेद फूल! वही सफ़ेद फूल, जो शांति का प्रतीक है; सफ़ेद फूल तो आ गए! लेकिन, उससे पहले; दुनिया में होनी थी शांति! हुआ क्या? युद्ध! बुद्ध …
पुष्प की पीड़ा - कविता - रमाकान्त चौधरी
संवेदनहीन हुआ मानव तो ख़त्म हुईं सब आशाएँ, समझ नहीं पाया यह मानव मेरे मन की अभिलाषाएँ। अभिलाषा थी वीरों के पाँव तले बिछ जाने की, देश…
हरसिंगार झर रहा है - कविता - राकेश कुशवाहा राही
वर्षों बाद मैं अपनी माटी से मिला तो ख़ुशबुओं से लगा कोई इंतज़ार कर रहा है। सुबह-सुबह हरसिंगार झर रहा है उसकी ख़ुशबू से घर आँगन महक रहा …