संदेश
बेमौल माज़ी - नज़्म - कर्मवीर सिरोवा
हम रोये बहुत, नैनों को ना सूखने दिया कभी, इस काफ़िर दिल ने तुझकों ना भूलने दिया कभी। शामों की सुर्ख़ फ़ज़ाओं में तुझसे मुख़ातिब हुआ कभी, मा…
कर्मवीर मास्टर - नज़्म - कर्मवीर सिरोवा
मिरी मसर्रतों से गुफ्तगूं कर ज़ीस्त ने कुछ यूँ फ़रमाया हैं, ज्ञानमन्दिर में आकर हयात ने हयात को गले लगाया हैं। सोहबत में तेरी ए पाठशाला …
तू सज-धज के नज़र आती हैं - नज़्म - कर्मवीर सिरोवा
शफ़क़ की पैरहन ओढ़ें शाम जब मिरे मस्कन आती हैं, सुर्ख़ मनाज़िर में तू दुल्हन बनी सज-धज के नज़र आती हैं।। तन्हा रात हैं, शोख़ जज़्बातों के क़ाफ़ि…
क़ुर्बत - नज़्म - अंकित राज
मेरी आँखों में झिलमिलाती वो, मेरे ख़्वाबों में रोज़ आती वो... फिर गले से मुझे लगाती वो, मेरी बाहों में मुस्कुराती वो... च…
ऐ! ज़िंदगी - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ऐ! ज़िंदगी तेरे लिए हमने बहुत हैं दुःख सिंये। ऐ! आशिकी तेरे लिए आँख ने आँसू पिये। बे मुरब्बत ज़िंदगी तू रूठती मुझसे रही। बेरहम ये जख़्म स…
पत्ता गोभी - नज़्म - कर्मवीर सिरोवा
मिरे दर पर हुजूम में, साथी कोई पुराना आया हैं। अजीजों की बज़्म में, क़त्ल का फ़रमान आया हैं। मोहब्बत के खेल में, जाम तिरा ख़्याल आया हैं। …
कोई बात दबी हैं - नज़्म - कर्मवीर सिरोवा
तेरे नूरानी बदन पे कसक कोई सजी हैं, तुझसे मिलकर कह दूँ होठों में कोई बात दबी हैं। मिन्नतें तमाम अज़ीज़ों की मेरे संग काफ़िर गुजरी हैं,…
कमाल है - नज़्म - अंकित राज
इत्तेफ़ाक से हमारा मिल जाना.. कमाल है यूँ मेरी ज़िंदगी में तुम्हारा आना.. कमाल है दीदार की बड़ी हसरत है लेकिन बातों से दिल चुराना.. कमाल …
वो नींद - नज़्म - हरि ओम राजपूत
वो नींद मुझे जब आती थी, सोने से पहले सोने तक ! वो कई गुजारी रातें थी, वो भोर सुनहरी किरणों तक !! वो ख्वाब तुम्हारे आते थे, आकर फिर कतर…
तन्हा हो गया था मैं - नज़्म - रोहित गुस्ताख़
मुहब्बत याद रखना महबूब को भूल जाना पंखे को डाँटना फ़ोटो पर चिल्लाना. तन्हा हो गया था मैं.... रोज़ नशे में डूबना, सिगरेट जलाके ब…
इंतज़ार-ए-इश्क़ - नज़्म - मनोज यादव
क्या मुसीबत हो जो इतनी खूबसूरत हो । मैं अकेला इश्क करू तुमसे और तू सबकी जरूरत हो ।। मैं इंतजार करू तेरा तू बेकरार करे मुझको। …
इश्क़ हैं - नज़्म - अंकित राज
उसकी New Profile को बिना झपके घंटो देखती हैं तुम्हारी भी पलकों की पंखुड़ियां ..... तो इश्क़ हैं !! उसकी Typing पे ख़ुशी से का…
ज़िंदगी है हंसीं - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
दोस्त खुद से मोहब्बत किया कीजिये। जिंदगी को न यूँ, बददुआ, कीजिये बेख़ुदी में क़दम डगमगा गर गये। फिर से उठके सम्भलकर चला कीजिये। जि…
बेहद नफरत से मिलेंगे हम दोनों - नज़्म - अंकित राज
की अब के ज़ब मिलेंगे, तो बेहद नफरत से मिलेंगे हम दोनों,, अब के जो रास्तों में टकराएंगे, तो एक दूजे से नज़रें फेर लेंगे हम दोनों,,…
छोड़ आए - नज़्म - सलिल सरोज
कुछ किस्से और कुछ कहानी छोड़ आए हम गाँव की गलियों में जवानी छोड़ आए शहर ने बुला लिया नौकरी का लालच देकर हम शहद से भी मीठी दादी-नान…
फूल से खूशबू कभी जुदा नही होती - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
फूल से खुशबू कभी जुदा नहीं होती। पाकीज़गी प्यार की बेखुदा नहीं होती । है अगर कशिशे मोहब्बत रूह की। तो बाखूदा ये गुमशुदा नहीं ह…
क्यूँ जिंदगी की बंदगी - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जो एक दिन ठोकर लगाती, वह जिंदगी है बेवफा । गले मिलकर साथ जाती, मौत ही वह दिलरुबा । पर मौत को नफरत मिले , बस प्यार पाए जि…
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