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राष्ट्र की उपासना ही, अश्वमेधिक लक्ष्य हैं - गीत - उमेश यादव
राष्ट्र की उपासना ही, आश्वमेधिक लक्ष्य है। पराक्रम से राष्ट्र रक्षा, यज्ञ संस्कृति रक्ष्य है॥ अश्व है प्रतीक साहस, शौर्य और पुरुषार्थ …
विश्वास रखो मैं लौटूँगा - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रोना मत सजनी विरही बन, विश्वास रखो मैं लौटूँगा। सुन लो पुकार तुम सीमा पर, सीमांत विजय कर लौटूँगा। भारत पड़ोस सुन लो गर्जन, प्रिय सिं…
अमर वीर जवान - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
राष्ट्र शौर्य बलिदानियों, भारत सैन्य जवान। तन मन धन अर्पण स्वयम्, जीवन अमर महान॥ नमन सैन्य की वीरता, नमन साहसी धीर। करे देश सीमांत …
झाँसी न दे पाऊँगी - कविता - राघवेंद्र सिंह
जब भारत पर अंग्रेजों ने, निज अधिकार जमाया था। राज्य हड़पने की नीति को, गोरों ने बनवाया था। तब झाँसी की एक नायिका, क्रान्ति ज्वाल बन चम…
सैनिकों को नमन - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
वे वहाँ पर देश की दीवार बनकर के खड़े हैं, दुश्मनों को क्या पता है, वीर पर्वत से अड़े हैं। जो कोई हथियार की धमकी दिया करते हैं हमको, सै…
देश की माटी है चंदन - कविता - इन्द्र प्रसाद
देश की माटी है चंदन। करें हम बार बार वंदन॥ १ प्रकृति की अनुपम सुषमा यहाँ, और षड् ऋतुएँ मिलती कहाँ। यहीं हिमधारे पर्वतराज, तपस्वी …
नमन - मनहरण घनाक्षरी छंद - महेश कुमार हरियाणवी
खगोलीय जहान हो, या गूँजता विमान हो, अपने तिरंगे का तो, अलग मक़ाम है। तकनीक का है जोर, चमके हैं चारों ओर, पैर धरती पे म्हारे, हाथ में लग…