संदेश
स्वयं जलो - कविता - संजय राजभर 'समित'
जलो मत न जलाओ किसी को यदि जलाना है तो अंदर के विकारों को जलाओ अप्प दीपो भव: बनो कुंदन बनोगे आत्म चेतना जिस दिन जल गई फिर क्या जलना क्य…
वज़नी बात - कविता - संजय राजभर 'समित'
जोर-जोर से चिल्ला कर अपनी बात मत कहो! क्योंकि छिछले लोग ध्यान देगें गहरे विचारक नहीं, गहन विचार केवल चिंतन-मनन से आती है गहरे विचारक …
शिक्षा, ज्ञान और विद्यार्थी - कविता - सिद्धार्थ 'सोहम'
लगता है हार रहा हूँ मैं, ख़ुद से, या ख़ुद को, जो सपने सँजोए वो शायद मेरे थे ही नहीं, जो हैं तो, लगता है थोपे गए है, बचपन से तुलना मेरी ह…
ग़लतियों को समझ पाना - गीत - उमेश यादव
सुधरने को मन मचलना, साहस कहलात है। ग़लतियों को समझ पाना, हौसले की बात है॥ ग़लतियों से सीख लेना, श्रेष्ठतम सदज्ञान है। ग़लतियों से हारते…
जीवन क्या है? - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
कुछ शब्दों, चीज़ों या विषयों को परिभाषित करना मुश्किल है जैसे प्रेम, मित्रता और जीवन। इन शब्दों का कोई सार्वभौम परिभाषा नहीं है। इस ले…
तुम कौन हो? - कविता - सुनिल शायराना
एक अदृश्य एवं अलौकिक शक्ति, जो कहीं नहीं है, मगर है, जिसने समस्त ब्रह्मांड का सृजन किया, असंख्य जीवों का निर्माण किया, जो अनादि काल से…
सजगता के प्रति - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
जब मरना ज़रूरी है तो लड़ना भी ज़रूरी है निःशब्द लोगों के लिए जीवन क्या है? केवल एक जीने की प्रक्रिया है आए और गए शब्द वालों के लिए जीवन …