संदेश
मेरा लिखा पढ़ेगा कौन? - कविता - सौरभ तिवारी
मैं मन का कोलाहल लिख दूँ या लिखूँ गूँजता अन्तर मौन लिखने को हर आह भी लिख दूँ मेरा लिखा पढ़ेगा कौन? रोम-रोम की लिखूँ वेदना संवेदी शीतल …
ऐसा गीत लिखूँ - कविता - अजय कुमार 'अजेय'
संवेदना मन गागर भावना मन सागर शब्दों की सुंदरता से मैं मन की प्रीत लिखूँ। कुछ ऐसा गीत लिखूँ।। सावन के आने पर बदरी छा जाने पर बागों में…
कविताएँ सब कुछ कहती हैं - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
अनुराग बिखेरे फिरती हैं, कविताएँ सब कुछ कहती हैं। निर्झर बन करके बहती हैं, कविताएँ सब कुछ कहती हैं। प्रिय ग्रन्थों के अध्यायों में, बन…
माखनलाल चतुर्वेदी - कविता - राघवेंद्र सिंह
हुई प्रफुल्लित भारत धरिणी, काव्य रत्न का जन्म हुआ। हिन्दी का उपवन है महका, स्वयं पुष्प का जन्म हुआ। त्याग तपस्या के अनुयायी, काव्य में…
आदमियत होने की शर्त लिखता हूँ - कविता - विनय विश्वा
मैं कविता लिखता हूँ इसलिए लोग कहते हैं कवि हूँ पर, मैं एक आदमी हूँ आदमियत होने की शर्त लिखता हूँ जहाँ पर्त खोलने की कोशिशें होती हैं इ…
गीत सजाने आया हूँ - कविता - राघवेंद्र सिंह
मैं कवियों की स्मृतियों का, गीत सजाने आया हूँ। काव्य के इस सुंदर उपवन में, दीप जलाने आया हूँ। मैं अदना सा एक बालक हूँ, अभी अभी निकली त…
आज मैं कुछ लिखना चाहता हूँ - कविता - शेख रहमत अली 'बस्तवी'
लिखते हैं सब, आज मैं भी कुछ लिखना चाहता हूँ। गूगल हो या अमेज़ॉन हर जगह बिकना चाहता हूँ। अदाकारी भी हो मुझमें व जुनूँन इस तरह का हो,…
कविता के संग लिखा जाऊँ - कविता - सिद्धार्थ 'सोहम'
हूँ नहीं चाहता कुछ भी जग से, न माँगू मै वरदान अमर, ना बनना चाहूँ धनवान प्रखर, बस कविता की ही ओज मिले, कविता से ही पहचान मिले जब लिख…
कुमार विश्वास - कविता - राघवेंद्र सिंह
हिन्दी साहित्य पुरोधा, सरस्वती पुत्र, जीवन को काव्य साधना में समर्पित करने वाले कविराज डॉ॰ कुमार विश्वास जी के जन्मदिवस पर उन्हें समर्…
खोटा कवि हूँ मैं - कविता - गणेश भारद्वाज
मैं कोई फ़नकार नहीं हूँ, औरों की सरकार नहीं हूँ। लिख देता हूँ मन की पीड़ा बेदर्द कलमकार नहीं हूँ। पन्ने और सजाते होंगे, कलमी हार बना…
क्या तुमने कवि को देखा है? - कविता - राघवेंद्र सिंह
पूछ रहा है एक कवि, क्या तुमने कवि को देखा है? ऊपर से नीचे तक कैसा, क्या रवि के जैसी रेखा है? क्या है उसके हाथों में, क्या दुबला पतला द…
उठे जब भी कलम - कविता - ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
उठे जब भी कलम कुछ ऐसा लिखे, प्रभाव जिसका इस समाज में दिखे। कलम वह हथियार है जो वार तेज़ करती है, किसी गोले किसी बारूद से नहीं डरती है, …
मैं लेखिका हूँ - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
जब एहसासों का समंदर उमड़ा हो, जब जज़्बात करवट लेने लगते हैं। जब भावनाओं का सामंजस्य बढ़-चढ़कर, अपना आकार लेने लगते हैं।। जब कोई अपनी स…
लेखनी - कविता - रतन कुमार अगरवाला
उम्र के इस गुज़रते पड़ाव में, लिखना जब शुरू किया मैने। लेखनी से हुई दोस्ती मेरी, ज़िंदगी का नया रूप जिया मैने। भावों को शब्दों में पिरोय…
कविता - कविता - राजेश "बनारसी बाबू"
एक छोटी सी रचना है, एक कवि की परिकल्पना है, कविता दिलों के तार है, कविता शब्दों का भंडार है, कविता कवि की वास्तविकता है, कविता दिलों क…
साहित्यकार श्री सुधीर श्रीवास्तव - कविता - महेन्द्र सिंह राज
गोंडा जिले के बरसैनिया गाँव में स्व. श्री ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव और स्व. विमला देवी के पुत्र के रूप में सन 1969 में अवतरित मूर्धन्य स…
मेरी कविता - कविता - समय सिंह जौल
मेरी कविता स्वअनुभूति है, सहानुभूति नहीं। यथार्थपरक है, मनोरंजनपरक नही। मेरी कविता झकझोरती, झूठी झूमती नही। सच्ची वास्तविक है, कोरी का…
मैं कहीं भी होता हूँ - कविता - सुरेंद्र प्रजापति
मैं कभी भी, कहीं भी होता हूँ, ज़िम्मेवारियों के साथ होता हूँ। बच्चों की ज़रूरतें, गृहस्थी का बोझ, चाहे जहाँ भी होता हूँ, उत्तरदायित्वों …
शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - आलेख - विमल कुमार "प्रभाकर"
हिन्दी साहित्य के सुविख्यात वरिष्ठ कवि, लेखक, आलोचक, सुधी सम्पादक शिवशरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' समकालीन साहित्य में लोकप्रिय रच…
अश्रु शब्द - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मैं कवि या कलमकार नहीं हूँ, आम इंसान हूँ। सुरों, विधाओं से न वास्ता है मेरा, मन की उद्दिग्नता को बस शब्द देता हूँ। गीत, ग़ज़ल, छंद, कवि…
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