संदेश
कर्मों का फल - कविता - डॉ॰ कंचन जैन 'स्वर्णा'
समंदर सी गहराई लेकर, चल मन में। मगर समंदर सा खारापन नहीं। चला क़लम बेशक रफ़्तार से, मगर ठहर, हर शब्द को पढ़। बड़ा क़दम तेज़ी से हरेक,…
कर्मफल - कविता - डॉ. सरला सिंह "स्निग्धा"
अपने अपने ही कर्मफल इक दिन तो सब चखते हैं। दूजों के हित जो गढ्ढा खोदे ख़ुद ही उसमें वह गिरता है। बीतेंगे यह कठिन दिवस भी दिन तो सबका ही…
कर्म - कविता - बृज उमराव
कर्म तुम्हारा कार्य क्षेत्र है, कर्म से कम स्वीकार नहीं। अथक असीमित मेहनत से कम, कुछ भी अंगीकार नहीं।। भरोसा अपनी बाहों का, मष्तिष्क…
कर्म ही पूजा है - लेख - शेखर कुमार रंजन
खुश रहना चाहते हो, अपनी मंज़िल को पाना चाहते हो, जीवन में सफल होना चाहते हो तो मोह का त्याग, सुख- दुःख, फ़ायदे और नुकसान को छोड़कर जीत की…
कर्मगति - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
राजा हो रंक कर्म गति से सबको ही दो चार होना पड़ता है। कर्मों के हिसाब से फल भोगना ही पड़़ता है, कौन बच सका है कर्मगति के प्रभाव से, जिस…
कर्मवीर बनो - कविता - मधुस्मिता सेनापति
विधाता को क्यों कोसना जब कर्म पर हैं भरोसा विधाता ने सर्वांग सही सलामत दिए तो भाग्य पर क्यों रखते हो आशा ...? बिना कर्म किए भाग्य को क…
कर्म पर नियंत्रण रखा जा सकता है - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
मन आपके नियंत्रण में नहीं रह सकता लेकिन कर्म पर नियंत्रण रखकर आप मन को सही दिशा में लगा सकते हैं । मैंने जीवन के अनुभवों के आधार …