संदेश
भौतिकवाद, प्रकृतिवाद और हमारी महत्वाकांक्षाएँ - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
सुदूर गाँव और जंगलों मे बैठा कोई बुज़ुर्ग व्यक्ति और उसका परिवार जो खेती बाड़ी करता है, गाय, भैंस और बकरियाँ चराता है, हाथ मे स्मार्ट फ़ो…
आधुनिक समाज - दोहा छंद - बजरंगी लाल
मुँह पर मीठी बोलते, दिल में रखते द्वेष। ए आस्तीन के साँप हैं, इनसे रहें सचेत।। साथ रहें मिलते सदा, लेते मन का भेद। जिस पत्तल में खात ह…
शिक्षा का मंदिर - लघुकथा - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
जय प्रकाश कोई बीस साल बाद गाँव लौटा तो उसके क़दम अनायास की गाँव से सटे जँगल की और बढ़ गए जहाँ एक दूर तक फैला हुआ आश्रम था। आश्रम के मुख्…
टेक्नोलॉजी और शिक्षा - लेख - समय सिंह जौल
प्रौद्योगिकी विषय अंग्रेजी में टेक्नोलॉजी के नाम से जाना जाता है। यह एक ग्रीक शब्द "टेकनॉलाजिया" से लिया गया है जहाँ "ट…
वृक्षों की ढलान - कविता - विनय "विनम्र"
कभी वादियाँ गुलज़ार थीं, पेड़ों की बस दीवार थी, पक्षियों की चहचहाहट क्षितिज के भी पार थी। हुक्मरानों की सभा या मासूम का हो बचपना, हर किस…
इत्तेफाक - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
ये महज इत्तेफाक नहीं हो सकता गाँवो से शहरों की ओर पलायन बढ़ता ही जा रहा है, जन जन अपनी ही मिट्टी से कटता जा रहा है। गाँवों की सभ्यता क…
रिश्तों का बदलता स्वरूप - निबंध - देवासी जगदीश
आज की आधुनिकता हमें निरंतर चारों ओर से घेर रही है, चाहे रहन-सहन का ढंग हो, आदर सत्कार का रवैया हो, चाहे बातचीत करने का लहज़ा हो, सभी त…